
रविवार को बिहार के आरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच से माइक उठाया और सीधे “गुंडागर्दी-पॉलिटिक्स” पर वार कर दिया। मोदी ने कहा, “नामांकन वापस लेने से एक दिन पहले बिहार में बंद कमरे में गुंडागर्दी का खेल खेला गया था। कट्टा रखकर कांग्रेस से राजद नेता को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाने की घोषणा कराई गई।”
राजद-कांग्रेस में झगड़ा: ‘दिल है कि मानता नहीं!’
मोदी बोले, “राजद और कांग्रेस में अब झगड़ा अपने चरम पर है — न घोषणा-पत्र में कांग्रेस की सुनी गई, न प्रचार में उनकी पूछ।”
उन्होंने जोड़ा — “चुनाव से पहले इतनी नफ़रत, तो बाद में सिरफोड़ाई तय है!”
यानी, NDA का संदेश साफ़ — “जो अपने बीच नहीं निभा पा रहे, वो बिहार का क्या भला करेंगे?”
‘जंगलराज’ बनाम ‘सुशासन’ — वही पुरानी जंग, नए अंदाज़ में
प्रधानमंत्री ने कहा, “एक तरफ NDA का सुशासन है, दूसरी तरफ जंगलराज का कुशासन।”
उनके मुताबिक राजद का जंगलराज ‘कट्टा, क्रूरता, कटुता, कुसंस्कार, कुशासन और करप्शन’ से पहचाना जाता है।
कांग्रेस पर भी ‘1984 मोड’ में हमला
मोदी ने 1984 के सिख नरसंहार का जिक्र करते हुए कहा — “कांग्रेस की पहचान उस कत्लेआम से जुड़ी है। आज भी वो गुनहगारों को सम्मान दे रही है।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राजद दोनों को अपने “राजनीतिक पापों” पर कोई पछतावा नहीं है। उल्टा, अब तो ये लोग बिहार की पहचान मिटाने और घुसपैठियों को बचाने में लगे हैं।
मोदी का पंचलाइन मूड ऑन
मोदी बोले, “ये लोग बिहार में घुसपैठियों के समर्थन में यात्राएं निकाल रहे हैं। जो देश का नहीं, वो बिहार का क्या होगा?”
भीड़ ने जवाब दिया — “मोदी-मोदी!”
(और सोशल मीडिया ने तुरंत ट्रेंड पकड़ लिया।)
बिहार में पॉलिटिक्स से ज़्यादा अब पनपा है पंच!
राजनीतिक गर्मी ऐसी कि नवंबर में भी आरा का माहौल मई जैसा तप रहा है। एक तरफ मोदी के ‘कट्टा-राज’ वाले तंज, दूसरी ओर विपक्ष के ‘सुशासन’ पर सवाल — मतलब चुनावी स्टेज अब कॉमेडी, ड्रामा और एक्शन का मिक्स बन चुका है।
